पौधों की 16 प्रजातियां विलुप्त, वातावरण में हो रहा परिवर्तन बना बड़ा खतरा

 


पौधों की 16 प्रजातियां विलुप्त, वातावरण में हो रहा परिवर्तन बना बड़ा खतरा



सार



  • पूरे देश में पौधों की लगभग 49 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं

  • 50 वर्षों के समयांतराल में पौधों की कई किस्मों के विलुप्त होने का खतरा



 

विस्तार


वातावरण में हो रहा बदलाव पौधों पर भी भारी पड़ने लगा है। पूरे देश में पौधों की लगभग 49 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन वातावरण में हो रहा बदलाव अब पौधों को भी हमेशा के लिए विलुप्त करने लगा है।
 

एक आरटीआई से मिली जानकारी में यह बात सामने आई है कि देश की पौधों की कुल संपदा में से 16 प्रजातियां कई प्रदेशों से विलुप्त हो चुकी हैं। हालांकि इनके कुछ दूसरे प्रदेशों में पाए जाने की संभावना बनी हुई है। पौधों की सबसे ज्यादा किस्में तमिलनाडु से विलुप्त हुई हैं।
 
आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर के एक सवाल का जवाब देते हुए बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कहा है कि पिछले लगभग 50 वर्षों के समयांतराल में पौधों की कई किस्मों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है।

तमिलनाडु के आलावा केरल से तीन, कर्नाटक और मेघालय में दो-दो, महाराष्ट्र, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, हिमालय और दक्षिण पठार वाले क्षेत्र में भी पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं।
 
पर्यावरणवादी बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को पूरी दुनिया के लिए खतरनाक बताते रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सिर्फ पेड़-पौधे ही नहीं, अनेक जीवों के भी हमेशा के लिए विलुप होने का खतरा मंडरा रहा है।

समुद्री जीवों और पौधों की भी अनेक किस्मों पर उनके विलुप होने का खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह से दुनिया का पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ सकता है।