मध्यप्रदेश: बहुमत परीक्षण में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर, समझें गणित

 


मध्यप्रदेश: बहुमत परीक्षण में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर, समझें गणित


मध्यप्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शाम पांच बजे तक बहुमत परीक्षण की पूरी प्रक्रिया खत्म कर ली जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि अगर बागी विधायक विधानसभा आना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश के डीजीपी को उन्हें सुरक्षा देनी होगी। अदालत ने बहुमत परीक्षण की वीडियोग्राफी भी कराने के लिए कहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि राज्य की विधानसभा में मौजूदा दलीय स्थिति क्या है।


 

इससे पहले रंगपंचमी के दिन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। यह सभी कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल थे। लेकिन छह इस्तीफे स्वीकार होने के बाद सदन में कांग्रेस की सदस्य संख्या 114 से घटकर 108 रह गई है। वहीं रंगपंचमी से एक दिन पहले 13 मार्च को ज्योतिरादित्य के काफिले पर पथराव हुआ था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार के खिलाफ भाजपा ने मोर्चा खोल दिया था।

मध्यप्रदेश विधानसभा की दलीय स्थिति और बहुमत के लिए आवश्यक सदस्य संख्या

कुल सीटें: 230
खाली सीटें: 2

13 मार्च तक संख्या बल
कांग्रेस: 114
भाजपा: 107
बसपा: 2
सपा: 1
निर्दलीय: 4

14 मार्च के बाद संख्या बल
कांग्रेस: 108
भाजपा: 107
बसपा: 2
सपा: 1
निर्दलीय: 4
(अब बहुमत के लिए 112 संख्या बल चाहिए)

यदि कांग्रेस को बसपा और सपा का समर्थन हासिल रहता है तो भी उसके पास बहुमत के लिए जरूरी 112 की संख्या नहीं है। वहीं भाजपा अपने बूत सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उसे निर्दलीय विधायकों के साथ ही साथ सपा या बसपा में भी सेंध लगानी होगी।